EV can save Earth? इलेक्ट्रिक गाड़ियां चलाने से बच जाएगी हमारी धरती
चाहे जितना जीवाश्म इंधन जलाएं ज्यादा से
ज्यादा लोगों को समृद्ध बनाएं और अगर
जलवायु परिवर्तन के चलते आगे ऐसा संभव ना
हो तब बस पर्यावरण अनुकूल तरीके और टिकाऊ
तरीके अपना लें ग्रीन ग्रोथ को बढ़ावा दें
तो क्या सारी चीजें फिर से पहले जैसी हो
जाएंगी क्या यही जलवायु त्रस्ती को रोकने
का तरीका है इसका कैसा परिणाम होगा सबसे
बड़े प्रदूषक जैसे विमानन कंपनियां भी
टिकाऊ बनना चाहती हैं लगभग सारी कंपनियां
के लिए प्रतिबद्ध है कार उद्योग भी वोगन
जैसे निर्माता भी पर्यावरण अनुकूल तरीके
अपनाना चाहते हैं और पूरे के पूरे देश
भी मेरा मानना है कि पर्यावरण को बिना
नुकसान पहुंचाए या धरती का शोषण किए बिना
हमारी समृद्धि को बनाए रखना संभव है और
यही हमारा लक्ष्य होना
चाहिए इस मॉडल की खासियत यह है कि पहले की
तरह ही विकास सामाजिक जुड़ाव को मजबूत
बनाता है
लोक कल्याणकारी देशों को बचाना स्वास्थ्य
सेवाओं की व्यवस्था और ऐसी अन्य चीजों का
हल ज्यादा से ज्यादा संसाधन बनाकर निकाला
जाता है और यह तरीका बेहद सफल रहा है
इसलिए अब सारी व्यवस्थाएं ऐसी ही वृद्धि
पर निर्भर हो चुकी
है जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए एक
महत्वाकांक्षी लक्ष्य हासिल करना होगा
हमारा वातावरण हर साल प्रति व्यक्ति एक टन
कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन ही झेल सकता
है नाइजर जैसे कुछ देश ही ऐसा कर सके हैं
वैश्विक औसत अभी 4.7 टन है अमेरिका का औसत
14.2 टन है तो क्या किया जा सकता
है हमें दो चीजें एक दूसरे से अलग करनी
होंगी आर्थिक उत्पादन को संसाधनों की खपत
या ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन से अलग
इसका रास्ता लंबा है और फिलहाल काम बहुत
धीमी गति से चल रहा
है रेल यातायात को पहले से ज्यादा बढ़ावा
दिया जाए विमान यातायात और महंगा यानी कम
आकर्षक बनाया जाए मीट कम खाया जाए क्या
फिलहाल अपनाए जा रहे हमारे यह तरीके काफी
हैं जर्मनी में ऊर्जा के क्षेत्र में
बदलावों में यह साफ देखा जा सकता है जिसने
कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कटौती में
कोई अहम योगदान नहीं दिया है और जहां पर
यह कटौती हुई है वह मुख्यत उत्पादन में आए
बदलाव यानी विदेशों में उत्पादन से हुई है
जिसमें फिर ज्यादा उत्सर्जन होता है
औद्योगिक देशों को इस शताब्दी के मध्य तक
जलवायु तटस्थ बनने के लिए अपना उत्सर्जन
पहले से 15 गुना तेजी से घटाना होगा ऐसा
करने के लिए जर्मनी को अक्षय ऊर्जा
स्रोतों से बनने वाली बिजली को चार गुना
बढ़ाना होगा और ऐसा होना संभव
नहीं फिलहाल हम खुद को ऐसी दुविधा में
पाते हैं कि कोई भी राजनीतिक ताकत सामने
आकर लोगों से कहने का साहस नहीं रखती है
कि हम स्वाभाविक और प्राकृतिक तौर पर अपनी
जरूरतों से ज्यादा चीजें इस्तेमाल कर रहे
हैं सच कहे तो औद्योगिक दुनिया में
जबरदस्त उत्सर्जन कटौती बहुत जरूरी है
आखिर उन्होंने बहुत ज्यादा co2 उत्सर्जन
जो किया है और अर्थव्यवस्था और समृद्धि को
थोड़ा सिकुड़ना ही होगा जलवायु उतरास को
रोकने के लिए